Saturday, December 28, 2019

Rajiv dixit जी कौन थे तथा उनकी मृत्यु कैसे हुई ?




Rajiv dixit जी बड़े बुद्धिजीवी ब्यक्ति थे तथा उन्हें भारत देश से अगाध प्रेम था. वे भारत देश को विश्व में एक अलग पहचान देना चाहते थे. वे हमेशा भारतीयों से स्वदेशी अपनाने पर जोर दिया करते थे इसी कारण उन्होंने स्वदेशी आन्दोलन भी शुरू किया था जो की 5000 से अधिक भारत में स्थित विदेशी भारतीय कम्पनियों के खिलाफ था. Rajiv dixit जी पहले ऐसे ब्यक्ति थे जिहोने 20 वर्षों में लगभग 12000 से अधिक ब्याख्यान दिए.



Rajiv dixit जी ने जनवरी 2009 में ‘भारत स्वाभिमान न्यास’ की स्थापना की तथा वे इस ट्रस्ट के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सचिव भी बने. इसके अतिरिक्त उन्होंने ‘आजादी बचावो आन्दोलन’ की भी शुरुवात की तथा सचिव भी रहे.


Rajiv dixit जी बड़े प्रतिभाशाली ब्यक्ति थे. वे अपने जीवनकाल में भगतसिंह, उधमसिंह, और चंद्रशेखर आजाद जैसे महान क्रांतिकारियों से बहुत अधिक प्रभावित रहे. जब उन्होंने गाँधी जी को पढ़ा तो उनसे भी बहुत अधिक प्रभावित हुए

Rajiv dixit जी का जन्म और शिक्षा-दीक्षा


राजीव दीक्षित जी का जन्म 30 नवम्बर 1967 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जनपद की अतरौली तहसील के नाह गाँव में हुआ था. इनके पिता राधेश्याम दीक्षित तथा माता का नाम मिथिलेश कुमारी था. इन्होने फिरोजाबाद से इण्टरमीडिएट तक की शिक्षा प्राप्त की तथा इसके उपरान्त उन्होंने इलाहाबाद से बी० टेक० की पढाई की. इसके बाद इन्होने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर से एम० टेक० की उपाधि प्राप्त की. ये बचपन से ही बहुत कुशाग्र बुद्धि के थे. उन्होंने कुछ समय तक भारत के सीएसआईआर में काम किया तथा कुछ समय तक इन्होने फ्रांस के टेलीकम्यूनीकेशन सेण्टर में भी काम किया. इसके उपरांत इन्होने भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ॰ ए पी जे अब्दुल कलाम के साथ भी काम किया. इनकी प्रतिभा के कारण इनको कुछ समय तक सीएसाअईआर की कुछ परियोजनाओं में भी काम करने का अवसर मिला. इसके अतिरिक्त इन्होने विदेशों में शोध पत्र पढने का भी कार्य किया. इन्हें लोग ‘राजीव भाई’ के नाम से अधिक जानते थे.


ये पढने के बहुत शौक़ीन थे इसीलिए ये अपने समय में हज़ारों रुपये अखबार और मैगजीन खरीदने में खर्च कर दिया करते थे. इनकी पढ़ाई-लिखाई और डिग्री को लेकर बहुत अधिक विवाद रहे हैं. इनमें सबसे अधिक विवादास्पद इनकी IIT कानपूर से एम टेक की डिग्री रही है. कुछ समय बाद कुछ लोगों ने आरटीआई लगाकर IIT कानपूर से इनकी डिग्री की सत्यता के बारे में जानने का प्रयाश किया. IIT कानपूर ने अपने डेटाबेस में राजीव दीक्षित नाम के किसी भी छात्र के न होने की पुष्टि की. इसके आलावा इनकी भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ॰ ए पी जे अब्दुल कलाम के साथ एक वर्ष कार्य करने की (1998 से 1999) जो बात कही गई है उसपर भी बहुत अधिक विवाद रहे हैं क्योंकि उस संस्था का गठन ही 2005 में हुआ था.

Wednesday, December 25, 2019

नाथूराम Godse ने गाँधी जी की हत्या क्यों की ?


Godse जी का पूरा नाम नाथूराम विनायक गोडसे था. ये बड़े ही कट्टर हिन्दू थे तथा इन्होने 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली में गाँधी जी को गोली मारकर इनकी हत्या कर दी थी. Godse जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुणे से पूर्व सदस्य थे. इनका ये मानना था की गाँधी जी ने भारत विभाजन के समय भारत और पाकिस्तान के मुसलमानों का पक्ष लिया है. इसलिए वह गाँधी जी से रुष्ट हो गए और गाँधी जी की हत्या कर दी. इसी कारण उसे 15 नवम्बर 1949 को फंसी दे दी गई.


नाथूराम Godse कौन थे ?

     
राष्ट्रीय स्वयंसेवक दल में होने के बावजूद भी उन्होंने अपनी एक अन्य पार्टी ‘हिन्दू राष्ट्रीय दल’ बना ली थी. वह आजादी की लड़ाई लड़ना चाहता था. उन्होंने हिन्दू राष्ट्र नाम से एक अखबार भी निकाला था. वह पहले गाँधी जी का अनुयाई भी था तथा उसने नागरिक अवज्ञा आन्दोलन में गाँधी जी के साथ बढ़ चढ़ कर भाग भी लिया था. बाद में धीरे-धीरे उसे लगने लगा की गाँधी जी हिन्दुओ के खिलाफ हो गए हैं और उसने गाँधी जी की हत्या कर दी.

Godse जी का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उन्होंने हाईस्कूल की पढाई बीच में ही छोड़ दी थी. कुछ लोगों का मानना है की उन्होंने पढाई छोड़ने के कुछ ही दिन बाद राष्ट्रिय स्वयंसेवक दल (आरएसएस) में शामिल हो गए थे. उनकी सोच हिंदुत्व राष्ट्र की थी और इसी सोच नें ही उनसे गाँधी जी की हत्या करवाई थी.

गांधीजी की Godse ने हत्या कर दी


उस दिन दिल्ली में सूरज नहीं निकला था. 30 जनवरी 1948 का दिन था. घने कोहरे और ठंढ के कारण सड़कों पर बहुत कम लोग दिखाई दे रहे थे. शाम के 4 बज रहे थे. रोज की भांति आज भी बिरला हाउस प्रार्थना सभा में शामिल होने के लिए आये हुए लोगों से भरा था.यह प्रार्थना सभा शाम 5 बजे से 6 बजे तक चलती थी जिसमें सर्वधर्म प्रार्थना होती थी. प्रार्थना समाप्त होने पर गांधीजी सामयिक विषयों पर टिप्पणी करते थे तथा बीच-बीच में लोग उनसे प्रश्न भी करते थे.
       
        इस प्रार्थना सभा की शुरुवात सितम्बर 1947 से हुई थी. शाम 4:30 बजे तक प्रार्थना सभा लोगों से खचा-खच भर गयी थी. जिनमें साक्षात्कार लेने के लिए आये लोग तथा उनके दर्शन करने आये लोग थे. इनमें से कुछ विदेशी लोग भी थे. इसी बीच सरदार पटेल भी आ गए. वे गांधीजी से मिलने के लिए आये थे. जब गांधीजी प्रार्थना सभा की ओर आ रहे थे तो दो लोग जो काठियावाड़ से आए हुए थे गाँधी जी को बीच में ही रोककर उनसे मिलने का समय मांगने लगे किन्तु गाँधी जी ने यह कहकर मना कर दिया की ‘जिन्दा रहा तो जरूर मिलूँगा’. यह कहकर वो प्रार्थना सभा की ओर बढ़ गए. उस दिन गांधीजी दो तीन बार अपनी मौत की बात कह चुके थे. शाम के 5 बजकर सत्तरह मिनट हो रहे थे तभी गांधीजी बिरला हाउस से निकलकर प्रार्थना सभा की ओर जाने लगे. आमतौर पर गांधीजी शाम 5 बजकर 10 मिनट पर प्रार्थना सभा में आते थे किन्तु आज कुछ बिलम्ब से पहुचे थे.अत्यधिक वृद्ध होने के कारण उनके हाथ और कंधे हमेशा मनु और आभा के कन्धों पर होते थे. वे धीरे-धीरे प्रार्थना सभा की ओर बढ़ रहे थे तभी नाथूराम Godse ने उनपर गोली चलाई. उसने एक के बाद एक तीन गोलियां उन पर चलाई. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार नाथूराम ने जब पहली गोली चलाई थी उससे पहले उसने हाथ जोड़े थे और अंतिम गोली चलाने के बाद भी अपने हाथ जोड़े थे. इसके बाद प्रार्थना सभा में मौजूद लोगों ने उनको पकड़ लिया किन्तु नाथूराम जी ने इसका कोई भी विरोध नहीं किया.

गाँधी जी की हत्या के पीछे नाथूराम Godse की राजनीतिक सोच थी जिम्मेदार


गाँधी जी की हत्या में नाथूराम Godse के अतिरिक्त उनके भाई गोपाल गोडसे को भी अभियुक्त बनाया गया था. किन्तु बाद में गोपाल गोडसे को केवल कैद की ही सजा सुनाई गई थी. गोपाल गोडसे ने अपनी किताब ‘गाँधी वध क्यों’ प्रकाशित की थी. जिसमें उसने विभिन्न राजनीतिक कारणों को गाँधी जी की हत्या करने का जिम्मेदार बताया था. जेल के दौरान गोपाल गोडसे से गाँधी जी के बेटे देवदास गाँधी ने मुलाकात की और गोपाल गोडसे से गाँधी जी की हत्या करने का कारण पुछा तो उसने राजनितिक कारणों से गाँधी जी की हत्या करने को बताया.


Wednesday, July 17, 2019

जीपीएस (GPS) क्या है तथा इसकी सहायता से हम लोकेशन (Location) कैसे पता करते हैं


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नमस्कार दोस्तों ! आज हम आपके लिए एक बहुत ही रोचक जानकारी लेकर आए हैं इसलिए इस लेख को आप पूरा जरूर पढना और हाँ पढने के बाद अपनी राय कॉमेंट्स के रूप में अवस्य देना. जिससे हमें ढेर सारा प्रोत्साहन मिलेगा और हम आपके लिए ढेर सारी रोचक जानकारी लेकर आते रहेंगे. तो चलिए शुरू करते हैं;-
आप सभी कभी न कभी अपने स्मार्ट फ़ोन में मौजूद गूगल मैप्स की मदत से किसी स्थान जैसे की स्कूल या फिर कोई हॉस्पिटल या फिर किसी अन्य स्थान की लोकेशन(LOCATION) खोजकर अवस्य ही बड़ी सरलता से पहुँच गए होंगे. इस कार्य में आपको किसी की मदत भी नहीं लेनी पड़ी होगी. किन्तु क्या आपने कभी सोचा है की यह तकनीक आखिर काम कैसे करती है ? यदि आपको नहीं पता है तो चलिए आज मैं आपको विस्तार पूर्वक बताने का प्रयास करता हूँ की यह तकनीक काम कैसे करती है-

इस तकनीक में सबसे मुख्य भूमिका निभाता है जीपीएस (Global Positioning System) जो की एक उपग्रह नेविगेशन प्रणाली है तथा इसका उपयोग किसी विशेष स्थान तक पहुंचने के लिए सटीक स्थान, वेग और समय जानने के लिए किया जाता है. जीपीएस का सर्वप्रथम उपयोग संयुक्त राज्य के रक्षा विभाग द्वारा सन 1960  में किया गया. उस समय इस तकनीक का उपयोग सैनिकों और सैन्य वाहनों की सहायता के लिए किया जाता था. सन 1995 में यह पूरी तरह से ग्लोबल हुआ तथा आम नागरिकों को इसके उपयोग की अनुमति साल 1980 में मिली.

जीपीएस (Global Positioning System) क्या है:-


जीपीएस लगभग 24 सेटेलाईटों का एक समूह होता है जो कि प्रत्येक मौसम में तथा दिन और रात एक समान कार्य करता है. यह सिस्टम मुख्य रूप से सौर्य उर्जा द्वारा संचालित होता है किन्तु ख़राब मौसम के समय जब सौर्य ऊर्जा उपलब्ध नहीं होती है तो इसमें लगी बैकअप बैटरियों का यह स्वतः ही उपयोग करने लगता है और इस तरह यह सिस्टम बिना रुके हमेशा काम करता रहता है.

जीपीएस कार्य कैसे करता है:-


जीपीएस प्रणाली मुख्यतः तीन भागों में बटी होती है जिसमे पहला और सबसे मुख्य भाग होता है अंतरिक्ष में स्थित भाग जिसे हम Space Segment कहते हैं यह छह कक्षीय चार विमानों का एक समूह होता है जिसका कार्य पृथ्वी पर मौजूद User Segment (उपयोगकर्ता सेगमेंट) को सिग्नल भेजना होता है.
इस प्रणाली का दूसरा भाग होता है Control Segment जोकी पृथ्वी पर स्थित होता है तथा इसका कार्य मुख्यतः उपग्रहों को बनाए रखने और निगरानी करने के लिए विकसित पृथ्वी पर स्थित स्टेशनों को सिग्नल भेजना होता है.




इस प्रणाली का तीसरा और अंतिम भाग होता है User Segment या फिर उपभोक्ता सेगमेंट इसका कार्य उन उपयोगकर्ताओं को सिग्नल भेजना होता है जो स्थिति और समय की गणना करने के लिए जीपीएस उपग्रहों से प्राप्त नेविगेशन संकेतों को संसाधित करते हैं.

जीपीएस के उपयोग:-


आज-कल हमारे दैनिक जीवन में जीपीएस का उपयोग बहुत ही आवश्यक व महत्वपूर्ण हो गया है. हम किसी अमुक स्थान या ब्यक्ति की सटीक लोकेशन (Location) जानने के लिए जीपीएस का उपयोग लगभग प्रतिदिन करते हैं पर क्या आपको पता है की इसका उपयोग अन्य बहुत सी चीजो में किया जाता है जो की बहुत महत्वपूर्ण और लाभदायक होता है:-

जीपीएस का हमारे दैनिक जीवन में उपयोग:-


हम सभी अपने दैनिक जीवन में स्मार्ट फ़ोन के माध्यम से जाने अनजाने  में जीपीएस का उपयोग अवश्य ही करते हैं जैसे किसी स्थान की लोकेशन जानने के लिए गूगल मैप्स का उपयोग करना. गूगल मैप्स जीपीएस पर आधारित एक बहुत ही उपयोगी तकनीक है जो कि आम जन-जीवन को बहुत ही सरल बना देती है. हम एक क्षण में एक ही स्थान पर बैठे-बैठे अपने गंतब्य की अपने स्थान से सटीक दूरी तथा रस्ते की सही-सही जानकारी प्राप्त कर लेते हैं. इस तकनीक के माध्यम से हम किसी वाहन में बैठे-बैठे  यह भी ज्ञात कर सकते  है की  हमारे वाहन की गति क्या है तथा हम जिस स्थान पर पहुँचने के लिए यात्रा कर रहे हैं उस स्थान तक हम उस वाहन की गति के अनुसार लगभग कितने समय में पहुच जायेंगे.

हम अपनी कार या किसी भी अन्य वाहन में इसका उपयोग करके अपने वाहन की सटीक स्थिति का पता लगा सकते हैं तथा हम अपने वाहन को चोरी होने से बचा सकते हैं. यह तकनीक हमें घर बैठे अपने वाहन की दुर्घटनाग्रस्त होने की सूचना भी दे देता है.

इसके अतिरिक्त जीपीएस का प्रयोग एयरलाइंस कंपनियां, टैक्सी, खुफिया एजेंसियां, सरकारी एजेंसियां , डिटेक्टिव, शिपिंग कंपनियां, ट्रक, बस इत्यादि सभी जगहों पर किया जाता है. जीपीएस के प्रयोग का मुख्य उद्देश्य सटीक रास्ते की जानकारी प्राप्त करना होता है.

तो मैं आशा करता हूँ की आप लोग जीपीएस के बारे में काफी कुछ जान गए होंगे यदि आपके पास भी है कोई ऐसी ही रोचक जानकारी तो उसे हमारे साथ साझा जरूर करें हमारा ईमेल पता है-
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