Rajiv dixit जी बड़े बुद्धिजीवी ब्यक्ति थे तथा उन्हें भारत
देश से अगाध प्रेम था. वे भारत देश को विश्व में एक अलग पहचान देना चाहते थे. वे हमेशा
भारतीयों से स्वदेशी अपनाने पर जोर दिया करते थे इसी कारण उन्होंने स्वदेशी
आन्दोलन भी शुरू किया था जो की 5000 से अधिक भारत में स्थित विदेशी भारतीय कम्पनियों के खिलाफ था. Rajiv dixit जी पहले ऐसे ब्यक्ति थे जिहोने 20 वर्षों में
लगभग 12000 से अधिक ब्याख्यान दिए.
Rajiv dixit जी ने जनवरी 2009
में ‘भारत स्वाभिमान न्यास’ की स्थापना
की तथा वे इस ट्रस्ट के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सचिव भी बने. इसके अतिरिक्त
उन्होंने ‘आजादी बचावो आन्दोलन’ की भी शुरुवात की तथा सचिव भी रहे.
Rajiv dixit जी बड़े प्रतिभाशाली ब्यक्ति थे. वे अपने जीवनकाल में भगतसिंह, उधमसिंह, और चंद्रशेखर आजाद जैसे महान क्रांतिकारियों से बहुत अधिक प्रभावित रहे. जब उन्होंने गाँधी जी को पढ़ा तो उनसे भी बहुत अधिक प्रभावित हुए
Rajiv dixit जी का जन्म और शिक्षा-दीक्षा
राजीव दीक्षित जी का जन्म 30 नवम्बर 1967 को उत्तर प्रदेश के
अलीगढ़ जनपद की अतरौली तहसील के नाह गाँव में हुआ था. इनके पिता राधेश्याम दीक्षित
तथा माता का नाम मिथिलेश कुमारी था. इन्होने
फिरोजाबाद से इण्टरमीडिएट तक की शिक्षा प्राप्त की तथा इसके उपरान्त उन्होंने
इलाहाबाद से बी० टेक० की पढाई की. इसके बाद इन्होने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान
कानपुर से एम० टेक० की उपाधि प्राप्त की. ये बचपन से ही बहुत कुशाग्र बुद्धि के
थे. उन्होंने कुछ समय तक भारत के सीएसआईआर में काम किया तथा कुछ समय तक इन्होने
फ्रांस के टेलीकम्यूनीकेशन सेण्टर में भी काम किया. इसके उपरांत इन्होने भारत के
पूर्व राष्ट्रपति डॉ॰ ए पी जे अब्दुल कलाम के साथ भी काम किया. इनकी प्रतिभा के
कारण इनको कुछ समय तक सीएसाअईआर की कुछ परियोजनाओं में भी काम करने का अवसर मिला.
इसके अतिरिक्त इन्होने विदेशों में शोध पत्र पढने का भी कार्य किया. इन्हें लोग ‘राजीव
भाई’ के नाम से अधिक जानते थे.
ये
पढने के बहुत शौक़ीन थे इसीलिए ये अपने समय में हज़ारों रुपये अखबार और मैगजीन
खरीदने में खर्च कर दिया करते थे. इनकी पढ़ाई-लिखाई और डिग्री को लेकर बहुत अधिक
विवाद रहे हैं. इनमें सबसे अधिक विवादास्पद इनकी IIT कानपूर से एम टेक की डिग्री
रही है. कुछ समय बाद कुछ लोगों ने आरटीआई लगाकर IIT कानपूर से इनकी डिग्री की
सत्यता के बारे में जानने का प्रयाश किया. IIT कानपूर ने अपने डेटाबेस में राजीव
दीक्षित नाम के किसी भी छात्र के न होने की पुष्टि की. इसके आलावा इनकी भारत
के पूर्व राष्ट्रपति डॉ॰ ए पी जे अब्दुल कलाम के साथ एक वर्ष कार्य करने की (1998 से 1999) जो बात कही गई है उसपर भी बहुत अधिक
विवाद रहे हैं क्योंकि उस संस्था का गठन ही 2005 में हुआ था.